हिन्दुस्तानी अदब का सम्मान है अनवर को यशभारती

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हम काशी काबा के राही हम क्या जाने झगडा बाबा,
अपने दिल में सबकी उल्फत अपना सबसे रिश्ता बाबा।
प्यार ही अपना दीन धरम है प्यार खुदा है प्यार सनम है,
दोनों ही भगवान के घर में मस्जिद हो कि शिवाला बाबा।।

anwar jalalpuri-घनश्याम भारतीय-

         देश में फैले धार्मिक विद्वेष से उपजी कटुता से दूर हटकर समाज को इन पक्तियों के माध्यम से प्यार मोहब्बत ओैर साम्प्रादायिक सौहार्द की सीख देने वाले प्रख्यात शायर, संवाद लेखक व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मंच संचालक अनवर जलालपुरी को यशभारती पुरस्कार वास्तव में हिन्दुस्तानी अदब का सम्मान है। लगभग चार दशक तक प्रभावशाली शायरी और अपने उद्बोधन के जरिये हिन्दुस्तान के अलावा उसकी सरहद के पार दुनिया के तमाम देशों में अपनी माटी का नाम रोशन करने वाले इस साहित्य के पुरोधा को यह सम्मान बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए था। देर से ही सही राज्य सरकार ने उन्हें यशभारती का ऐलान करके भारतीय साहित्य का सम्मान किया है। यह सम्मान उन्हें हिन्दुओं के पवित्र धार्मिक ग्रन्थ गीता का उर्दू में काब्यानुवाद के लिए दिया जायेगा।
       प्रख्यात संत पल्टू दास की सरजमी पर जन्में पले बढे अंग्रजी के विद्वान और उर्दू और अरबी के ज्ञाता अनवर जलालपुरी ने संत पल्टू दास की रचना- डाल डाल पर अल्लाह लिखा है पात पात पर राम से प्रेरित होकर सांप्रादायिक सौहार्द बनाये रखने का जो बीडा उठाया था उसे आज वे वृद्धावस्था में भी बखूबी ढो रहे है। जब हिन्दुस्तान की सरजमी पर गुलामी छटपटा रही थी और आजादी मिलने में महज एक माह नौ दिन का समय शेष था तब जलालपुर कस्बे में हाफिज मो हारून के पुत्र के रूप में 6 जुलाई 1947 को जन्में अनवर जलालपुरी वास्तव में विलक्षण प्रतिभा के धनी है। प्राथमिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर ग्रहण करने के बाद उन्होंने गोरखपुर विश्व विद्यालय से 1966 में अंग्रेजी अरबी, और उर्दू विषय के साथ स्नातक और 1968 में अलीगंज मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए और अवध विश्व विद्यालय से उर्दू में एमए और जामिया मिल्लिया अलीगढ से अदीब कामिल की डिग्री हासिल करने के बाद परूइया आश्रम सहित कई शिक्षण संस्थानों में प्राइवेट शिक्षक के रूप में शिक्षा दी। लेकिन नरेन्द्र देव इंटर कालेज जलालपुर में जहां वे छात्र हुआ करते थे वहीं अंग्रेजी का प्रवक्ता नियुक्त हुए तब उनके जीवन में स्थायित्व आया। यहीं से जागृत हुआ  उनके अंदर के अदब का विरवा विशाल बट वृक्ष का रूप लिया।
         अनवर जलालपुरी के अंदर का साहित्य मेगा सीरियल अकबर द ग्रेट में उभर कर सामने आया जब उन्होने इस प्रख्यात सीरियल के लिए गीत और संवाद लेखन का कार्य 1996 में किया। इसी के साथ हिन्दी फिल्म डेढ इश्किया में नसीरूद्दीन शाह और माधुरी दीक्षित के साथ शायर और मंच संचालक की भूमिका निभा कर सोहरत बटोरी। सोहरत का यह सिलसिल अनवर जलालपुरी के जीवन के साथ चलता रहा है। पिछले 35 वर्षो से राष्ट्रीय और अर्न्तराष्ट्रीय स्तरों पर होने पर कवि सम्मेलनों और मुशायरों में अनवर जलालपुरी आवश्यक अंग हुआ करते है। अरब राष्ट्रों में स्थित भारतीय दूतावासों में आयोजित मुशायरों का संचालन अनवर जलालपुरी के बिना फीका पड जाता है। उन्होने अब तक अमेरिका, कनाडा, पाकिस्तान, इग्लैण्ड सहित अरब राष्ट्रोें में भारतीय मूल के नागरिकों द्वारा आयोजित सहित्यिक सम्मेलनों का संचालन कर अपने देश का नाम ऊंचा किया। नरेन्द्रदेव इण्टर कालेज के अंग्रेजी प्रवक्ता के पद से सेवा निवृत्त होने के बाद लखनऊ में रह रहे इस शायर ने जब हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रंथ गीता का काव्यात्मक अनुवाद उर्दू में किया तो देश के साहित्य जगत में एक नई चर्चा छिड गयी। इस महान कार्य के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें यशभारती पुरस्कार देने का एलान करके सिर्फ अनवर जलालपुरी को ही सम्मानित करने का निर्णय नहीं लिया बल्कि भारती साहित्य का सम्मान किया है।
इसके पूर्व अनवर जलालपुरी ने तोश-ए-आखिरत, उर्दू शायरी में गीताजंलि,  उर्दू शायरी में रूबाईयाते खय्याम, जागती आंखे, खुशबी की रिस्तेदारी, खारे पानियों का सिलसिला, रोशनायी के सफीर, अपनी धरती अपने लोग, जरबे लाइलाह, जमाले मोहम्मद, बादअज खुदा, अरफे अब्जद, राहरौ से रहनुमा तक पुस्तके साहित्य जगत को दी है। इसके अलावा अदब के अक्षर, कलम का सफर, और सफीराने अदब, शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है। अनवर जलालपुरी को अब तक उत्तर प्रदेश गौरव, फिराक सम्मान, माटी रत्न सम्मान सहित दर्जनों सम्मान व पुरस्कार प्राप्त हो चुके है। उन्होंने सिर्फ साहित्य के क्षेत्र मंे ही काम किया हो ऐसा नहीं, बल्कि जलालपुर में मिर्जागालिब इंटर कालेज की स्थापना करके शिक्षा की भी लौ जलायी है। जिसके वे संस्थापक प्रबन्धक है।
        इस योग्य और महान साहित्य शिल्पी का महत्व पिछली बसपा सरकार में समझा गया था तब उन्हें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद का चेयर मैन बनाते हुए राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था लेकिन उन्होंने साहित्य के आगे सियासत का हमेशा बौना ही समझा। वास्तव में अनवर जलालपुरी व्यक्ति विशेष का नहीं, विचारों के एक पुन्ज का दूसरा नाम है। उनके व्यवहार में भी साहित्य का भरपूर समावेश हर समय देखा जा सकता है। पहली ही मुलाकात में गैरों केे भाई बन जाने और गैरों कों अपना बना लेना की कला उनसे सीखी जा सकती है। मेंरा करीब एक दशक का समय उनके सानिध्य में बीता है इसलिए मैं यह बात अत्यन्त विश्वास के साथ कह सकता हूं कि जिसने अनवर जलालपुरी को समझ लिया उसने साहित्य और अध्यात्म के गूढ़ रहस्य को समझ लिया और जो उन्हें नहीं समझ पाया वह कुछ भी नहीं समझ पाया।
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Ghanshyam Bharti 2परिचय

घनश्याम भारतीय

स्वतंत्र पत्रकार/स्तम्भकार

पत्रकारिता में अनुभव – 1991 से विभिन्न समाचार पत्रों के लिए समाचार संकलन
वर्तमान में पायनियर हिन्दी दैनिक से जुडे है।

अन्य- विभिन्न विषयों पर सम सामयिक लेखन के साथ कहानी, उपन्यास का भी लेखन जारी।

संपर्क :  मो0-9450489946 ई-मेल :  ghanshyamreporter@gmail.com

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