‘वेन शी स्माइल्ड’ एक रोमांस फिक्शन नॉवेल है जिसमें एक नौजवान को जिंदगी में पहली बार प्यार हो जाता है और वह परिवार की उम्मीदों, साथियों के दबाव, एकेडमिक लक्ष्यों के बीच संघर्ष करता है और उत्तेजना से भरे एक साल में अपनी किस्मत से रूबरू होता है। शिमला की शिवालिक पहाडिय़ों के बीच सजी यह कहानी तब की है जब न तो मोबाइल फोन होते थे और न ही इंटरनेट।
200 पृष्ठों से कुछ ज्यादा का यह नॉवेल एक ही दिन में पढ़ा जा सकता है और देश-विदेश के बुक क्रिटीक से कई अच्छे रिव्यू हासिल कर चुका है। भारत के टॉप बुक क्रिटीक में से एक बुकगीक्स ने कहा है, ‘यह कहानी बिल्कुल नए और ईमानदारी भरे तरीके से लिखी गई है। किरदार बिल्कुल जिंदगी से भरे मालूम होते हैं। यह खूबसूरत, सरल और हंसाने वाली है। यह मिठास से भरपूर है और आपको छू जाती है और साथ ही हद से ज्यादा नाटकीय नहीं है।’ भारत की सबसे बड़ी ब्लॉग डायरेक्टरी ब्लॉगअड्डा ने लिखा है, ‘हमें यकीन है कि यह किताब आपकी किशोरावस्था के दिन और आपका पहला प्यार आपको याद दिलाएगी।’
इस किताब का किंडल एडिशन दिसंबर 2014 में रिलीज किया गया था और एक दम से यह भारत में एमेजॉन बेस्टसेलर बन गई थी। इसका पेपरबैक एडिशन नोशन प्रेस ने प्रकाशित किया है और अब यह सभी बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स जैसे फ्लिपकार्ट, एमेजॉन, इंफिबीम और पेटीएम पर मौजूद है।
इस नॉवेल को लिखने की वजह पर ऋतोबन ने कहा, ‘जब मैंने अपने सपनों की लिस्ट तैयार की तो नॉवेल लिखना भी उनमें से एक था। मैंने कई मार्केटिंग से जुड़े दस्तावेज लिखे हैं। कुछ ई-बुक्स और काफी सारा ट्रेनिंग मटीरियल भी। पर वह सब सिर्फ बिजनेस था। पर यह नॉवेल मेरे जुनून की रचना है। मैं एक आम लडक़े की किशोरावस्था से जुड़ी दिक्कतों की कहानी बयान करना चाहता था। जेडी सैलिंगर की ‘कैचर इन द राई’ पढऩे के बाद मैंने एक छोटी काल्पनिक कहानी लिखने का फैसला लिया और पहला ड्राफ्ट पूरा करने के लिए बस एक-दो महीनों के फोकस की जरूरत पड़ी।’
अपनी किताब को प्रमोट करने के लिए ऋतोबन ने एक यूनीक मार्केटिंग प्लैन बनाया क्योंकि उनके मुताबिक दुनिया भर में रोज 3000 से ज्यादा नई किताबें लॉन्च होती हैं। ऋतोबन ने कहा कि कुछ हट के करना जरूरी है नहीं तो आप बस भीड़ का हिस्सा बन कर रह जाते हैं। उन्होंने यूट्यूब पर एक वीडियो बुक ट्रेलर लॉन्च किया, कई सारे बुक ब्लॉगर्स को अपनी किताब पढऩे और रिव्यू करने का मौका दिया, कई ब्लॉग पर इंटरव्यू दिए, किताबों के शौकीनों का सबसे बड़ा सोशल नेटवर्क कहलाए जाने वाले गुडरीड्स.कॉम पर कैंपेन किया, बुक से जुड़ी वेबसाइट बनाई और कई तरह की सोशल मीडिया प्रमोशन भी की।
अपने लेखन के तरीके और यह नॉवेल लिखने के अनुभव पर ऋतोबन ने बताया, ‘मुझे यह किताब लिखने के लिए मालदीव्स की फ्लाइट लेनी पड़ी और मैं एक कैफे में जाकर बैठा जहां से हिंद महासागर को देख सकता था। सबसे अहम होता है शुरुआती पड़ाव जहां आपको कहानी का मूल रूप लिखना होता है, हर सीन का वर्णन करना पड़ता है और किरदारों के बारे में बताना होता है। एक बार अगर आप उसे अच्छे से कर लें, फिर लिखने वाला हिस्सा काफी आसान हो जाता है। पर इतना भी आसान नहीं होता। सबसे पहले तो नॉवेल लिखने का विचार आते ही आपको खुद से वादा करना होता है कि अंत तक इसे छोड़ेंगे नहीं। उसके बाद आपको पूरी तरह फोकस करना होता है और अपने आसपास और जेहन में चल रही हर चीज को भूलना होता है जैसे कि दूसरे लोगों की राय, सोशल मीडिया, खुद के सवाल और उम्मीदें। जब आप यह सब कर लें, तब लिखना शुरू करें और बिल्कुल भी रुकें नहीं।’
शिमला में रहते हुए ही खुद के अनुभव से ऋतोबन को यह कहानी लिखने की प्रेरणा मिली। उनके मुताबिक शिमला एक बहुत ही अलग जगह है जब हम उसकी तुलना देश के मेट्रो शहरों से करते हैं। हिमाचल प्रदेश की राजधानी के लोग, उनका व्यवहार और उनका पूरा रहन-सहन बेहद अलग है। खुद्दारी से भरे ऋतोबन ने ऑनलाइन रिसर्च की, ऐसे पब्लिशर को ढूंढा जो नए लेखकों की मदद करते हैं और फिर अंतत: नोशन प्रेस के संपर्क में आए जो कि चेन्नई में बेस्ड है। उनकी यह किताब ‘वेन शी स्माइल्ड’ दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे नई दिल्ली वल्र्ड बुक फेयर में भी 22 फरवरी तक फीचर होगी। यह एक प्रतिष्ठित इवेंट है जो हर साल होता है और सैंकड़ों पढऩे वालों, लिखने वालों, छापने वालों, लाइब्रेरी और स्कूल के प्रतिनिधियों को आकर्षित करता है।
नॉवेल के टाइटल के चुनाव और कवर कॉन्सेप्ट पर ऋतोबन ने कहा, ‘मैंने बिना किसी शीर्षक के पूरा नॉवेल लिख डाला। मेरे लैपटॉप में सेव हुआ सबसे पहला ड्राफ्ट आज भी ‘बुक’ के नाम से ही है। लिखने के बाद लगा कि टाइटल उस लडक़ी से जरूर जुड़ा होना चाहिए जिससे मृत्युंजय (मुख्य किरदार) को प्यार हो जाता है। वह उस लडक़ी की हंसी पर फिदा था। मैंने 10 संभावित शीर्षक लिखे, दोस्तों और परिवार से बात की और अंतत: ‘वेन शी स्माइल्ड’ चुना। ग्राफिक डिजाइनर होने के नाते मैं खुद ही कवर पेज डिजाइन करना चाहता था। कहानी शिमला में बांधी गई है इसलिए उस माहौल का दिखना बहुत जरूरी था इसलिए पहाड़ बनाए। और लडक़ी का कवर पर होना तो लाजमी था ही। कवर में सांझ का वक्त नजर आता है और जैसे-जैसे आप लडक़ी के चहरे के करीब आते हैं, अंधेरा बढ़ जाता है। इसका एक स्पष्ट सा अर्थ है कि रंगों का बढ़ता वजन और परछाई की बढ़ती तीव्रता बताती है कि मृत्युंजय अपनी तकदीर के करीब आ रहा है।
ऋतोबन फिलहाल दो प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। एक है इमेल-मार्केटिंग से जुड़ी नॉन-फिक्शन बुक जो बताती है कि कैसे इसे बिजनेस, आर्थिक स्थिति और योजना को बदल दिया है। दूसरा है म्यूजिक वीडियो जिसमें उन्होंने ‘मैं तैनूं समझावां की’ का मुखड़ा गाया है। वह इस साल कई और म्यूजिक वीडियो रिलीज करने की भी प्लैनिंग कर रहे हैं।