आई एन वी सी,
दिल्ली,
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री पी बलराम नाइक ने बताया कि सरकार ने दिसंबर 2007 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देख-भाल और कल्याण अधिनियम, 2007 में कानूनी जामा पहना दिया था। यह अधिनियम वरिष्ठ नगारिकों को सम्पति के हस्तांतरण, बच्चों और रिश्तेदारों की उपेक्षा के मामले में न्याय दिलाने, वरिष्ठ नागरिकों के परित्याग के मामले में पैनल प्रावधान, चिकित्सा सुविधाएं, जीवन और सम्पति की सुरक्षा से जुड़े अधिकार प्राधिकरणों के माध्यम से प्रदान करता है। इस अधिनियम को व्यक्तिगत रूप से राज्य सरकारों द्वारा कार्यान्वित किया जाना है। अब तक सभी राज्य और संघ-शासित प्रदेश ऐसा कर चुके है। जम्मू-कश्मीर में यह अधिनियम लागू नहीं है जबकि हिमाचल प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए अपना स्वयं का कानून है। मंत्री महोदय ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि हैल्प ऐज इंडिया ने भारत के 20 शहरों में वर्ष 2012 में एक अनुसंधान अभियान चलाते हुए बुर्जुगों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार, दुर्व्यवहार की प्रकृति और स्थिति, इसे रोकने तथा जागरूकता लाने के उपायों आदि पर अध्ययन किया। इस अध्ययन के निष्कर्ष में यह जानकारी दी गयी कि इन मामलों की जबावदेही के लिए पुलिस हैल्प लाइन और सहायता सेवाएं तो बड़ी संख्या में है लेकिन परिवार के सम्मान को बनाये रखने अथवा विश्वास की कमी के कारण कभी इनका उपयोग नहीं किया गया।