इसी महीने की 12 तारीख को ओमरे अनस ने लिखा था कि If you carry a Muslim name and you are not leftist, you are an extremist, if you are not in BJP, you are anti national, if you are not in Congress, you are terrorist. If you are with any regional party, Mulayam, Maya etc, you are simply opportunist. जाहिर है इसमें कांग्रेस की ओर से इसकी अधिकारिक पुष्टी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना बयान देकर कर दी कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित पाकिस्तान जाना चाहते हैं उनके आईएसआई से रिश्ते हैं। राहुल ने कहा है कि ” परसों मेरे दफ्तर में एक भारतीय गुप्तचर अधिकारी आया। उसने मुझे बताया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोगों ने मुजफ्फरनगर के उन 10-15 मुसलमान लड़कों से बात करके उन्हें बरगलाना शुरू कर दिया है, जिनके भाई-बहन दंगों में मारे गए हैं। ” राहुल गाँधी के इस बयान से जहाँ एक और दंगा पीड़ित मुसलमान युवक संदेह के घेरे में खड़े हो गए हैं, . वहीँ दूसरी और देश की ख़ुफ़िया एजेंसियों का भी कहीं न कहीं निठल्ला और नाकारा होने का सन्देश जा रहा है, अफ़सोस ! ISI को मुसलमानों से जोड़कर इस तरह से सार्वजनिक बयानबाजी से मुस्लिम समुदाय आहत है ।
लेकिन राहुल गांधी का ये बयान वैसा ही है जैसे कोई भाजपा के साथ नहीं है तो वह हिंदू नहीं है राष्ट्रवादी नहीं है यहां तक कि उसे गद्दार कहने में भी इस पार्टी / संगठन को कोई आपत्ती नहीं है। खैर यहां पर बात कांग्रेस के उपाध्यक्ष की हो रही है जिसके बेहूदा बयान से ये सवाल उठ गया है कि मुसलमानों का हमदर्द कौन ? क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि कांग्रेस ने हमेशा मुस्लिम समुदाय के साथ – साथ राष्ट्र को भी छला है। एक साजिश के तहत एक समुदाय को आगे बढ़ने नहीं दिया गया उसे आरक्षण जैसी सहूलत से महरूम किया गया। फर्जी मुठभेड़, फर्जी गिरफ्तारी, देश में सांप्रदायिकता फैलाना, लोकतंत्र को भाड़तंत्र, लूटतंत्र, भीड़तंत्र में बदलना, ये कुछ चंद उदाहरण हैं जिन्हें कांग्रेस ने किया। अब बात करते हैं राहुल के बयान की उनका बयान इसलिये भी मायने भी रखता है कि क्योंकि आने वाले लोकसभा चुनाव में मुकाबला राहुल बनाम मोदी का होने के कयास लगाये जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस मोदी की हर एक चाल के विफल करने के लिये हर तरह के हथकंडे अपना रही है कभी उन्नाव में कानपुर की मोदी की रैली को नाकाम करने के लिये किसी साधू की ख्वाब की ताबीर को सच करने के लिये पुरातत्व विभाग को खुदाई पर लगा दिया जाता है। खैर विषय पर लौटते हुऐ राहुल का बयान उन लोगों के लिये मुंह मांगी मुराद से कम नहीं है जिनकी नजर में मुस्लिम कांटे की तरह चुभते हैं उसी का नतीज है कि सोशल नेटवर्किंग साईट पर मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों के खिलाफ जहर उगला जा रहा है कैसे संयोंग की बात है कि अभी एक दिन पहले ही संघ परस्त अखबार ने अपने ने एक खबर प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि शिविरों में रहने वाले इसलिये वापस नहीं जाना चाहते कि उन्हें बगैर कुछ करे खाद्य सामग्री मिल रही है। जाहिर ऐसी खबरें दंगा पीड़ितों को मिलने वाली बाहरी मदद, में कमी आयेगी। और अगर ये दंगापीड़ित न्याय की आस लिये वापस कैंम्पों में चले जायेंगे तो सरकार के ऊपर जो विपक्ष का दबाव है कि दंगा पीड़ितों को वापस उनके गांव में पुनर्स्थापित क्यों नहीं किया जा रहा है वह कम हो जायेगा। उसी दौरान राहुल अल्वर में जहां पर महीने भर पहले ही दंगा हुआ था और हिंदू वोटों का भाजपा की तरफ धुव्रीकण हो गया था उसी धुव्रीकरण को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिये राहुल मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों को आईएसआई से जोड़ देते हैं यानी अब जो दंगा पीड़ित नौजवान हैं उन्हें आईबी आईएसआई का ऐजेंट बताकर उन पर देशद्रोह के मुकदमे दायर करेगी। यानी जो मरने से बच गये हैं जिनके घरों में लगाई जा चुकी है अब उन्हें जेलों में सड़ाया जायेगा । नौजवान पत्रकार नितिन ठाकुर कहते हैं कि मुझे राहुल गाँधी या कांग्रेस से कोई खास दिक्कत नहीं लेकिन अलवर में मिस्टर गाँधी जो बोले वो अनोखा ही था। मुजफ्फरनगर के दंगों के बारे में बोलते हुए राहुल यहाँ तक बोले कि दंगापीड़ित पाकिस्तान चले जाना चाहते हैं । मुस्लिम वोट पकाते राहुल ने ये बातें कह कर किसमें गुस्सा डाल दिया (राहुल के ही शब्दों में) शायद ही उनको पता हो।पाकिस्तान को उनकी इस बात से कैसा मौका मिला है वो भी खुली बात है।जब अपनी ही सरकार हो तब यकीनन बांहें चढ़ाकर मेनीफेस्टो नहीं फाड़ा जा सकता लेकिन ऐसी भी क्या मजबूरी कि आप हर भाषण में बस दादी और डैडी के ही गुण गाकर चले आएं।
सवा उठता है कि क्या राहुल उन चेहरों को भूल गये जो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने फफक फफक कर रोये थे ? उन लोगों को क्यों भूल गये जिनके घर इस दंगे में जलाये गये हैं ? बजाय इस बात की जांच करने कि दंगाईयों के पास ऐसा कौनसा कैमिकल था जिससे सींमेंट के पक्के घर पल भर में मलबे के ढ़ेर में तब्दील हो गये राहुल उल्टे सीधे बयान दें। क्या इससे इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाली तंजीमों के काम में खलल नहीं पड़ेगी। अब तक कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगते रहे हैं। कांग्रेस मुस्लिंमों को तुष्ट तो नहीं कर पाई लेकिन हिंदू तुष्टीकरण के लिये उसने रास्ते तलाशने शुरु कर दिये हैं। इस बात की आशंका उसी दिन से जताई जा रही थी मुजफ्फरनगर दंगों के सिलसिले में एक प्रतिनिधी मंडल प्रधानमंत्री कार्यलाय गया और और प्रधानमंत्री ने उनसे सीधे मुंह बात तक भी नहीं थी। जाहिर है पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं जिनकी तारीखो का एला भी चुनाव आयोग कर चुका है ऐसे में मध्यप्रदेश जहां मुस्लिमों की तादाद बहुत कम है राहुल का बयान देने के लिये ऐसे राज्य का चुनने कांग्रेस के नरम हिंदुत्तव के चौले को उतारकर फेंक देता है। और सवाल खड़ा करता है कि क्या कांग्रेस अब हिंदु तुष्टीकरण पर राह पर चल निकली है।
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वसीम अकरम त्यागी
युवा पत्रकार
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