शिवराज विनम्र हैं। अहंकार नहीं है उनको। मेरे अच्छे मित्र हैं। लेकिन उनके रहते भी मप्र में भ्रष्टाचार हो रहा है। क्योंकि वे मनमोहन जैसे हैं। जनता की कृपा से तीसरी बार सरकार मिली है। लेकिन कृपा कब तक चलेगी? यह बात आई एन वी सी से विशेष चर्चा में देश के ख्याति प्राप्त कवि व आम आदमी पार्टी (आप) के महत्वपूर्ण स्तंभ कुमार विश्वास ने कही।
दरअसल, विश्वास एक निजी कार्यक्रम विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर भोपाल में थे। उनके अनुसार प्रदेश में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए ‘आप’ पूरी तरह तैयार है। प्रस्तुत है चर्चा के अंश…मप्र में बतौर कवि कई दौरे किए, क्या अब ‘आप’ में दायित्व संभालने के बाद आॅफर कम हो गए हैं?
हां! सरकार ने अपने कार्यक्रम में बुलाना न के बराबर कर दिया है। लेकिन इसकी कोई परवाह नहीं है। जो भी कवि के तौर पर बुलाता है मैं आता हूं।
-कई लोग और राजनेता कहते हैं केजरीवाल की सरकार गिर जाएगी?
हमने किसी से समर्थन नहीं मांगा न लिया। जनता से पूछा था क्या सरकार बनाएं? जनता ने कहा वो पार्टी ने किया। सदन में बहुमत नहीं मिलता तो फिर जनता के बीच जाएंगे। जो लोग ऐसा कहते हैं क्या उन्होंने कभी जनता से पूछा? नहीं न।
-मप्र में लोकसभा लड़ने के लिए क्या कार्य योजना है?
हम सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। एक अच्छा कैडर तैयार हो गया है। साफ और ईमानदार छवि के लोग सामने आए हैं। पार्टी से लगातार लोगों का जुड़ना जारी है।
-क्या राहुल के खिलाफ लड़ेंगे?
देखिए! देश की पार्टियां अपने व्यक्ति को सेफ जोन देती रहीं हैं। विदिशा से सुषमा चुनाव लड़ती हैं तो कांग्रेस का उम्मीदवार लेट हो जाता है। यही हाल यूपी में मुलायम सिंह की बहु डिंपल यादव के लिए रहा। इसे तो अरविंद केजरीवाल ने तोड़ा। शीला को हराकर। पार्टी का निर्णय है तो अमेठी से चुनाव लड़ूंगा।
-क्या मप्र में भ्रष्टाचारियों की एशगाह है?
दिल्ली में 67 प्रतिशत अवैध कॉलोनियां हैं, इनसे 500 करोड़ प्रतिमाह अवैध कमाई होती है। यही हाल मप्र का है। यहां भूमि घोटाला है। मप्र भ्रष्टाचार का सायलेंट जोन है। एक प्रकार से मप्र अफसर, नेता, मंत्री, संतरी के लिए एशगाह है।
-आप मानते हैं मप्र भ्रष्टाचार का हब हो गया है?
मप्र भ्रष्टाचार का गढ़ है और भोपाल पिकनिक स्पॉट। शिवराज व्यक्तिगत तौर पर अच्छे हैं, लेकिन वे पॉवर फुल भूमिका में अब भी नहीं। भ्रष्टाचार ही था इसीलिए बड़े मंत्री नहीं जीत पाए। लेकिन 4 मंत्री ऐसे हैं, जो किसी तरह आ गए। फिर भी शिवराज वैसे हो नहीं पाए जैसा होना चाहिए। वास्तव में वे मप्र के मनमोहन हैं।