लखनऊ,
प्रदेश के वन मंत्री श्री दुर्गा प्रसाद यादव ने वनों में आग लगने के कारणों व अग्नि से होने वाली क्षति के बारे में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण प्रदेश में एक से सात फरवरी तक आयोजित होने वाले ‘‘वन अग्नि सप्ताह’’ का ग्राम स्तर तक प्रचार प्रसार सुनिश्चित किया जाए। वन अग्नि सप्ताह की सफलता के लिए जरूरी है कि वन क्षेत्र के समीपवर्ती आबादी वाले ग्रामों में इसे जन अभियान के रूप में संचालित किया जाये। अभियान के तहत जनसामान्य में वन अग्नि के कारकों एवं उसके दुष्परिणामों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जाये, यहां आज के समय की मांग है।
यह जानकारी श्री यादव ने आज यहां दी है। उन्होंने कहा कि वन प्राणवायु आक्सीजन का उत्सर्जन, वातावरण से कार्बनडाई आक्साइड का अवशोषण तथा स्थानीय जलवायु में संतुलन बनाने जैसे विभिन्न पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं। इसके साथ ही सुदूर वन क्षेत्रों में निवास करने वाले निर्धन व निर्बल वर्ग के लोगों की आजीविका का यह प्रमुख साधन भी है। वन इंर्धन, चारा, फल तथा प्राणदायक औषधि जैसी दैनिक उपयोगी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी सहायक है।
वन मंत्री ने कहा कि अक्सर ग्रीष्मकाल में अधिक तापमान, आर्दता में कमी एवं लोगों की लापरवाही की वजह से वन में आग लग जाती है, जिससे वन के साथ ही काफी सम्पत्ति की भी हानि होती है। वन अग्नि के दुष्परिणाम जहां एक ओर वातावरण को प्रभावित करते हैं, वहीं दूसरी ओर वनों में रहने वाले लोगों तथा वन्य जीवों को भी इसका परिणाम भुगतना पड़ता है। वनों में आग लगने की वजह से भारी संख्या में वन्य जीव काल-कलवित हो जाते हैं और जो बच जाते हैं, वह इधर-उधर पलायन कर जाते हैं। इससे जनमानस एवं पालतू मवेशियों को खतरनाक वन्यजीवों से हमेशा खतरा बना रहता है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वनों को आग से सुरक्षित रखने के लिए अनेक ठोस कदम उठाए गए हैं। गौरतलब है कि वनों को अग्नि से बचाने के लिए स्थानीय समुदायों, गैर सरकारी संगठनों सहित विभिन्न शासकीय विभागों का भी सहयोग प्राप्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वन अग्नि सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोंगों को वनों में अग्नि रेखाओं के रख-रखाव, सुरक्षा के प्रारंभिक प्रबंधन एवं वन अग्नि दुर्घटना घटित होने पर अग्नि शमन के उपायों के बारे में यदि जागरूक कर दिया जाए, तो वनों में आग जैसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है।
वन मंत्री ने वन अग्नि सुरक्षा सप्ताह के मौके पर प्रदेशवासियों से अपील की है कि वनों को अग्नि से होने वाली क्षति से बचाने के लिए सभी अपना सक्रिय योगदान दें। सरकार के प्रयासों को सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जल ही जीवन है, उसी प्रकार पृथ्वी पर वनों के बगैर जीवन सम्भव नहीं है।
यह जानकारी श्री यादव ने आज यहां दी है। उन्होंने कहा कि वन प्राणवायु आक्सीजन का उत्सर्जन, वातावरण से कार्बनडाई आक्साइड का अवशोषण तथा स्थानीय जलवायु में संतुलन बनाने जैसे विभिन्न पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं। इसके साथ ही सुदूर वन क्षेत्रों में निवास करने वाले निर्धन व निर्बल वर्ग के लोगों की आजीविका का यह प्रमुख साधन भी है। वन इंर्धन, चारा, फल तथा प्राणदायक औषधि जैसी दैनिक उपयोगी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी सहायक है।
वन मंत्री ने कहा कि अक्सर ग्रीष्मकाल में अधिक तापमान, आर्दता में कमी एवं लोगों की लापरवाही की वजह से वन में आग लग जाती है, जिससे वन के साथ ही काफी सम्पत्ति की भी हानि होती है। वन अग्नि के दुष्परिणाम जहां एक ओर वातावरण को प्रभावित करते हैं, वहीं दूसरी ओर वनों में रहने वाले लोगों तथा वन्य जीवों को भी इसका परिणाम भुगतना पड़ता है। वनों में आग लगने की वजह से भारी संख्या में वन्य जीव काल-कलवित हो जाते हैं और जो बच जाते हैं, वह इधर-उधर पलायन कर जाते हैं। इससे जनमानस एवं पालतू मवेशियों को खतरनाक वन्यजीवों से हमेशा खतरा बना रहता है।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वनों को आग से सुरक्षित रखने के लिए अनेक ठोस कदम उठाए गए हैं। गौरतलब है कि वनों को अग्नि से बचाने के लिए स्थानीय समुदायों, गैर सरकारी संगठनों सहित विभिन्न शासकीय विभागों का भी सहयोग प्राप्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वन अग्नि सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोंगों को वनों में अग्नि रेखाओं के रख-रखाव, सुरक्षा के प्रारंभिक प्रबंधन एवं वन अग्नि दुर्घटना घटित होने पर अग्नि शमन के उपायों के बारे में यदि जागरूक कर दिया जाए, तो वनों में आग जैसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है।
वन मंत्री ने वन अग्नि सुरक्षा सप्ताह के मौके पर प्रदेशवासियों से अपील की है कि वनों को अग्नि से होने वाली क्षति से बचाने के लिए सभी अपना सक्रिय योगदान दें। सरकार के प्रयासों को सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जल ही जीवन है, उसी प्रकार पृथ्वी पर वनों के बगैर जीवन सम्भव नहीं है।