लौह अयस्क की मूल्य निर्धारण नीति पर पुनर्विचार की ज़रूरत

मुर्तज़ा किदवई 
 
नई दिल्ली
.   एनएमडीसी लिमिटेड ने वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 298 कर्मचारी शामिल किये, जबकि लौह अयस्क उद्योग मंदी के प्रभाव से लड़खड़ा रहा है । श्रमशक्ति के साथ-साथ उपकरण और मशीनों की क्षमता को सुधारना कंपनी की रणनीति का हिस्सा है । श्रम शक्ति के उपयेगा में 259 तकनीकी कर्मचारी 39 गैर-तकनीकी कर्मचारी शामिल है । कंपनी ने कुल 354 करोड़ रुपये मूल्य के विशिष्ट उपकरणों के लिए आदेश भी दे दिया है । उपकरणों में हाइड्रोलिक एक्सकैवेटर्स, इलैक्ट्रिक रोप शॉवेल्स, ह्वील डोजर्स और डम्पर्स शामिल है ।

एनएमडीसी के अध्यक्ष राणा सोम ने कल इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता मे कंपनी की तिमाही समीक्षा बैठक में यह बात कही । उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण और कौशल विकास पर जोर देते हुए कंपनी ने वर्ष के दौरान 3583 कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है । 557 कार्यकारी भी कार्यकारी विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किये गये । श्री सोम ने कहा कंपनी भारत में पहली बार डम्पर्स और शॅवेल्स के संचालन के प्रशिक्षण के लिए अनुरूपकों को प्राप्त करने वाली है ।

 श्री सोम ने कहा सामान्यत: उद्योग और विशेष कर एनएमडीसी नवम्बर, 2008 मे बिक्री के सर्वाधिक निम्न स्तर से गुजरने के बाद मंदी से बाहर आ रहा है । उन्होंने कहा कि बाजार चढ रहा है और एनएमडीसी तीन तिमाहियों में बिक्री के उच्च स्तर पहुंचने पर पिछले वर्ष के बिक्री स्तर पर आ जायेगी ।

 उन्होंने बताया कि मौजूदा बाजार में दोनों दीर्घावधि ठेकों को लौह अयस्क की मूल्य निर्धारण नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है । वीरभद्र सिंह ने कहा कि एमएमडीसी इस्पात निर्माण कब से कर रही हैं और जानना चाहा कि क्या कंपनी उपयुक्त तकनीकी श्रम शक्ति से सुसज्जित है । उन्होंने कहा इस्पात की प्रति 10 लाख टन संयंत्र लागत बातचीत के जरिये कम की जानी चाहिए ।

 श्री सोम ने कहा कि मार्च, 2010 मे मौजूदा मूल्य निर्धारण नीति के समाप्त होने के बाद मूल्य निर्धारण पर पुनर्विचार के लिए परामर्शदाता की सेवाएं ली जायेंगी । इस्पात राज्य मंत्री साई प्रताप, इस्पात सचिव पी के रस्तोगी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने कल हुई बैठक में भाग लिया ।

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