राफेल : कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है?

–  तनवीर जाफऱी –

भारत द्वारा फ्रांस से खरीदे जाने वाले लड़ाकू विमान राफेल को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मामले की गूंज संसद से लेकर सडक़ों तक सुनाई देने लगी है। ऐसा समझा जा रहा है कि 2019 का आम चुनाव आते-आते यह मुद्दा कुछ वैसा ही रूप धारण कर लेगा जैसाकि राजीव गांधी के शासनकाल में स्वीडन की बोफोस तोप डील ने धारण किया था। हालांकि कांग्रेस के विरुद्ध बोफोर्स को लेकर उस समय पूरा विपक्ष कांग्रेस के ही एक बा्रगी नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में इस तरह एकजुट हुआ कि हवा में उड़ते भ्रष्टाचार के आरोपों ने राजीव गांधी की सरकार ही गिरा दी। इस मामले में हालांकि आज तक न तो कोई गिरफ्तारी हुई न ही इस संबंध में किसी को अब तक जेल भेजा गया। बोफोर्स मामले से जुड़े कई लोग भगवान को भी प्यारे हो गए। अमिताभ बच्चन के भाई अजिताभ बच्चन पर भी इस डील में संलिप्त होने का आरोप था। वह भी झूठा साबित हुआ। परंतु इस पूरे घटनाक्रम का एक लाभ विपक्ष को ज़रूर हुआ कि वह राजीव गांधी जिन्हें कि ‘मिस्टर क्लीन’ कहा जाता था के मुंह पर भ्रष्टाचार की कालिख पोतने में ज़रूर कामयाब रहे और विश्वनाथ प्रताप सिंह भाजपा समर्थित सरकार के प्रधानमंत्री बन बैठे।

राफेल विमान सौदा भी बोफोर्स की ही तरह है या वास्तव में इसकी खरीद में बहुत बड़े स्तर पर घोटाला किया गया है इस बात का सही पता तो खरीद-फ्रोखत तथा रख-रखाव संंबंधी सभी दस्तावेज़ों की पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही पता चल सकेगा। परंतु इतना ज़रूर है कि इस मामले ने धीरे-धीरे तूल पकडऩा शुरु कर दिया है। उधर दूसरी ओर सत्तापक्ष की ओर से इस मुद्दे पर दिए जाने वाले असंतोषपूर्ण जवाब विपक्ष को यह सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि यदि इस सौदे में कोई गड़बड़ी अथवा अनियमितताएं नहीं हैं तो फिर सरकार इसकी जांच करवाने से क्यों कतरा रही है? पिछले दिनों मोदी सरकार के विरुद्ध संसद में आए अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष के नेता व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान सौदे को लेकर मोदी सरकार को ज़बरदस्त तरीके से घेरा। परंतु अपने जवाब में प्रधानमंत्री ने राफेल के सवाल पर कोई उचित जवाब नहीं दिया। हां राहुल गांधी द्वारा उठाए जा रहे सवालों को सत्ता पक्ष द्वारा शोर-शराबे की आवाज़ों से दबाने की ज़रूर कोशिश होती रही। इसके पश्चात देश के तीन ऐसे नेता जिनका कभी कांग्रेस पार्टी से संबंध ही नहीं रहा, बजाए इसके वे भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी ज़रूर रहे हैं उन्होंने इसी राफेल सौदे को एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से मीडिया के समक्ष रखा।

देश के जाने-माने पत्रकार एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी तथा भारत के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा तथा जाने-माने अधिवक्ता एवं पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण के पुत्र प्रशांत भूषण ने गत् दिनों दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर राफेल विमान सौदे से संबंधित डील का क्रमवार ब्यौरा दस्तावेज़ों सहित देश के सामने रखा। इन नेताओं को विपक्षी दलों का नेता भी नहीं कहा जा सकता। इन नेताओं को नरेंद्र मोदी अथवा संघ परिवार के प्रति कोई पूर्वाग्रह रखने वाला नेता भी नहीं माना जा सकता। फिर आिखर क्या वजह है कि कल तक अपने ही साथ दिखाई देने व खड़े रहने वाले नेता आज इस सौदे पर उंगलियां उठा रहे हैं? आज जब सरकार से इस विषय पर अपना स्पष्टीकरण दस्तावेज़ों सहित देने का सवाल उठाया जाता है तो सरकार व उसके संबंधित नुमाईंदे कभी गोपनीयता का बहाना बनाकर सौदे पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं कभी सौदे की अवधि अंतराल का बहाना बनाकर विमान की बढ़ी कीमतों को सही ठहराने की बात करते हैं। विमानों के रख-रखाव का जि़म्मा एचएएल जैसी भारत के एकमात्र विमान रख-रखाव संबंधी बड़े सरकारी उपक्रम को देने के बजाए किसी नवनिर्मित निजी कंपनी को दे दिया जाता है? इन सब बातों का कोई माकूल जवाब सरकार के पास नहीं है।

इन्हीं सवालों को लेकर राहुल गांधी का संसद में आक्रामक होना,उपरोक्त तीन नेताओं का मीडिया के माध्यम से देश को इस विषय पर अवगत कराना तथा संसद परिसर में विपक्ष द्वारा सोनिया गांधी के नेतृत्व में प्रदर्शन करना इस बात की ओर सीधा इशारा कर रहा है कि यह मामला 2019 का चुनाव आते-आते भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी करने वाला है। उधर सत्तारूढ़ दल की ओर से इस विषय पर अपने बचाव में जो बातें की जा रही हैं वह बड़ी ही हास्यास्पद हैं। संसद में राहुल गांधी का जवाब प्रधानमंत्री नहीं देते और जब प्रशांत भूषण,यशवंत सिन्हा व अरूण शौरी प्रेस कांफ्रेंस में यह सवाल उठाते हैं तो भाजपा की ओर से यह जवाब दिया जाता है कि संसद में बात हो चुकी है। और आजकल तो भाजपा शीर्ष नेताओं ने एक नई रणनीति ढूंढ निकाली है। यदि आप इनसे राफेल विमान सौदे से संबंधित सवाल पूछ रहे हैं तो अमित शाह जी इसका जवाब देने के बजाए आपको यह चेता रहे हैं कि पश्चिम बंगाल को ममता बैनर्जी से बहुत खतरा है। आप इनसे राफेल पर सवाल कीजिए यह बताएंगे कि एनआरसी लागू कर सरकार ने कैसे घुसपैठियों को देश से भगाने का प्रबंध किया है। आप इनसे यह पूछिए कि राफेल के रख-रखाव का ठेका किसी संबंधित विमान तकनीक से अनभिज्ञ नई-नवेली कंपनी को क्यों और कैसे दे दिया गया तो आपको शाह साहब जवाब देते सुनाई देंगे कि पहले राहुल गांधी अपनी चार पीढिय़ों का हिसाब दें।

गोया इस तरीके से राफेल विमान सौदे पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। और निश्चित रूप से सरकार के इस राफेल सौदे पर पर्दा डालने या इसे दबाने की कोशिशों में मीडिया का भी एक बड़ा वर्ग सरकार के साथ खड़ा हुआ है। इस गोदी मीडिया को राफेल विमान सौदे में कुछ भी गड़बड़ नहीं दिखाई देता न ही इसपर सवाल खड़ा करने की उसकी हिम्मत है। बजाए इसके यही मीडिया कांवडिय़ों पर योगी व पुलिस वालों की विमान से की जाने वाली पुष्प वर्षा दिखाने लगता है। इस मीडिया के पास गाय-गंगा,लव जेहाद जैसे विषयों का एक बड़ा भंडार है जो छोटे पर्दे पर चर्चा के दौरान देश में ध्रुवीकरण का वातावरण तैयार करता हैं। अन्यथा जिस समय कांग्रेस के कुछ नेताओं पर बोफोर्स सौदे में दलाली खाने का आरोप लगा था उसके बाद यही भारतीय मीडिया एकजुट होकर सरकार के पीछे पड़ गया था और सरकार को बदनाम करने यहां तक कि उसे सत्ता से उखाड़ फेंकने तक में मीडिया की ही ज़बरदस्त भूमिका थी। आज यही मीडिया लगभग मूक दर्शक बनकर प्रत्येक उस सवाल की अनदेखी कर रहा है जिसे सोशल मीडिया के माध्यम से देश के जि़म्मेदार लोग बार-बार उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वयं यह महसूस करना चाहिए कि आिखर उनकी सरकार की उपलब्धियों में ‘चार चांद’ लगाने वाला तीन तलाक बिल राज्यसभा के मानसून सत्र के आिखरी दिन क्योंकर पारित नहीं हो सका? ज़ाहिर है यह राफेल विमान सौदे पर लगातार होने वाला व्यवधान ही था जिसने संसद की इस कार्रवाई को मुकम्मल नहीं होने दिया। लिहाज़ा देश यह ज़रूर जानना चाहेगा कि आिखर क्या वजह है और सरकार किन मजबूरियों के चलते राफेल विमान सौदे की जांच संयुक्त संसदीय समिति द्वारा कराए जाने की मांग स्वीकार नहीं कर रही है?

बकौल मिर्ज़ा गालिब-
बेखुदी बेसबब नहीं गालिब ।    
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।l

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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