रणबीर सेना के स्थापक मुखिया जी को शहीद बनाने कवायत शुरू – कल दिल्ली में होगी महासभा

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दिल्ली ,
कल दिनाक 9  जून 2013 का दिन इतिहास के पन्ने में अपनी जगह बनाने जा रहा है , दिल्ली के गाँधी पीस फाउन्देशन रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर सिंह उर्फ़ मुखिया जी को  देश भर के लोग मुखिया जी को श्रधांजलि देने के लिए इकठ्ठा हो रहे है !  एक बहुत बड़ी श्रधांजलि सभा  आयोजन होने जा रहा है ! इस श्रधांजलि सभा के  आयोजन के  बहाने एक बार फिर से मुखिया जी को याद करने के लियें बिहार से बाहर  रहने वाले सभी समर्थक इकठ्ठा होने जा रहे है उत्तर प्रदेश ,उत्तराखंड , पंजाब हरयाणा ,चंडीगढ़ ,जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश से बहुत से लोगों की पहुचने की संभावना है आज सुबहा मुखिया जी के पुत्र इंदु भूषण सिंह अपने बहुत से करीबी समर्थको के साथ दिल्ली पहुच गये है ! आई एन वी सी को इंदु भूषण ने बताया की मुखिया जी ने बहुत से लोगों को नक्सली संगठन के अत्याचारों से मुक्ती दिलवाई थी आज उनके वंसज पूरे देश में फैले हुयें है और ये वोह लोग है जो मुखिया जी को तन मन धन से प्यार करते है !इस श्रधांजलि सभा के मुख्य आयोजक संजय राय ने बताया अमर शहीद वीर बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ सिंह उर्फ़ मुखिया जी ने अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर दिए था ,उनकी बजह से मध्य बिहार के सभी जिलों से  माले (लिबरेशन ) नामक नक्सली संगठन पूरी तरहा समाप्त हुआ  और लोग चैन की साँस खुली  में ले रहे है ! गौरतलब है की  इससे पहले मुखिया जी की प्रथम पुन्य थी उनके पुश्तैनी गाव में एक जून मनाई गयी थी भारी बरसात और ओलाबारी  के बाबजूद एक लाख से ज़्यादा लोग उनके गाव पहुचे थे !  रणवीर सेना के प्रमुख ब्रह्मेश्वर सिंह उर्फ़ मुखिया जी  की हत्या एक  जून  2012 को उस समय कर दी गई थी जब वे आरा स्थित अपने आवास से टहलने निकले थे !

_______________ मुखिया जी के बारे में जाने _________ अमित कुमार की कलम से ____रणवीर सेना की स्थापना 1995 में मध्य बिहार के भोजपुर जिले के गांव बेलाऊर में हुई थी .दरअसल जिले के किसान भाकपा माले (लिबरेशन ) नामक नक्सली संगठन के अत्याचारों से परेशान थे और किसी विकल्प की तलाश में थे. ऐसे किसानों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल पर छोटी-छोटी बैठकों के जरिये संगठन की रूपरेखा तैयार की.बेलाऊर के मध्य विद्यालय प्रांगण में एक बड़ी किसान रैली कर रणवीर किसान महसंघ के गठन का ऐलान किया गया.तब खोपिरा के पूर्व मुखिया बरमेश्वर सिंह,बरतियर के कांग्रेसी नेता जनार्दन राय,एकवारी के भोला सिंह,तीर्थकौल के प्रोफेसर देवेन्द्र सिंह,भटौली के युगेश्वर सिंह,बेलाउर के वकील चौधरी ,धनछूहां के कांग्रेसी नेता डॉ.कमलाकांत शर्मा और खण्डौल के मुखिया अवधेश कुमार सिंह ने प्रमुख भूमिका निभाई. इन लोगों ने गांव -गांव जाकर किसानों को माले के अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़े होने के लिए प्रेरित किया.आरंभ में इनके साथ लाईसेंसी हथियार वाले लोग हीं जुटे. फिर अवैध हथियारों का जखीरा भी जमा होने लगा.भोजपुर में वैसे किसान आगे थे जो नक्सली की आर्थिक नाकेबंदी झेल रहे थे.जिस समय रणवीर किसान संघ बना उस वक्त भोजपुर के कई गांवो में भाकपा माले लिबरेशन ने मध्यम और लघु किसानों के खिलाफ आर्थिक नाकेबंदी लगा रखा था. करीब पांच हजार एकड़ जमीन परती पड़ी थी. खेती बारी पर रोक लगा दी गयी थी और मजदूरों को खेतों में काम करने से जबरन रोक दिया जाता था. कई गांवों में फसलें जलायी जा रही थीं और किसानों को शादी-व्याह जैसे समारोह आयोजित करने में दिक्कतें आ रही थी. किसानों की दिन दहाड़े हत्या कर दी जाती थी, लोग शाम ढलने के बाद घरों में बंद हो जाते थे, किसानों को सब से जायदा चिंता अपने बेटियों की आबरू को लेकर था, बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था, बेटियां घर से निकलने को राजी नहीं थी. इन परिस्थितियों ने किसानों को एकजुट होकर प्रतिकार करने के लिए माहौल तैयार किया. रणवीर सेना के गठन की ये जमीनी हकीकत है. बाद में हिंसा का प्रतिकार करने के बदले बिहार सरकार ने सवर्णो की इस सेना को तत्काल प्रतिबंधित कर दिया.लेकिन हिंसक गतिविधियां जारी रही. प्रतिबंध के बाद रणवीर संग्राम समिति के नाम से इसका हथियारबंद दस्ता विचरण करने लगा. दरअसल भाकपा माले हीं इस संगठन को रणवीर सेना का नाम दे दिया. विरोधी इसे सवर्ण सामंतों की बर्बर सेना कहने लगे. एक तरफ भाकपा माले का दस्ता खून बहाता रहा तो प्रतिशोध में रणवीर सेना समर्थक इसका प्रतिकार करते रहे. करीब पांच साल तक चली हिंसा-प्रतिहिंसा की लड़ाई के बाद घीरे-घीरे शांति लौटी. रणवीर सेना के सुप्रीमों बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखियाजी नेतृत्व में लड़े गए इस लड़ाई ने माओवादियों को सबसे खतरनाक कहे जाने वाले क्षेत्र से भागने को मजबूर होना पड़ा. लेकिन इस बीच मध्य बिहार के जहानाबाद,अरवल,गया , औरंगाबाद ,रोहतास ,बक्सर और कैमूर जिलों में रणवीर सेना ने प्रभाव बढ़ा लिया. बाद के दिनों में राष्ट्रवादी किसान महासंघ नामक संगठन का निर्माण किया गया. महासंघ ने आरा के रमना मैदान में कई रैलियां की और कुछ गांवों में भी बड़े-बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम हुए. जगदीशपुर के इचरी निवासी राजपूत जाति के किसान रंग बहादुर सिंह को इसका पहला अध्यक्ष बनाया गया.आरा लोकसभा सीट से रंगबहादुर सिंह ने चुनाव भी लड़ा और एक लाख के आसपास वोट पाया. बाद में रणवीर सेना के संस्थापक सुप्रीमो बरमेश्वर सिंह उर्फ मुखियाजी पटना में नाटकीय तरीके से पकड़ लिये गये. आरा जेल में रहते हुए उन्होंने भी लोकसभा का चुनाव लड़ा और डेड़ लाख वोट लाकर अपनी ताकत का एहसास कराया. बाद में अदालत ने रणवीर सेना प्रमुख को ज्यदातर मामलों में बरी कर दिया.
कहा जाता है की जेल से छुटने के बाद रणवीर सेना प्रमुख ने समाज में व्याप्त बुराइयों और किसानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ना शुरू कर दिया था. इसी कड़ी में मुखिया ने अखिल भारतीय राष्ट्रवादी किसान संगठन की स्थापना की थी. मुखिया ने यूँ तो राज्य के सभी क्षेत्रों में किसानों को जगाना शुरू कर दिया था लेकिन वे ज्यदा ध्यान पटना और आस पास के पीड़ित किसानों को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत थे. मुखिया की यह सक्रियता उनके स्वजातीय एक दबंग विधायक को अपने राजनीतिक करियर पर खतरा दिखने लगा बदले में दबंग विधायक बंधू ने धोखे से रणवीर सेना के पूर्व सुप्रीमो मुखिया की हत्या उस समय कर दी जब वह सुबह की सैर पर निकले थे.
यह मुखिया के चमत्कारिक नेतृत्व का ही कमाल था की जिस नक्सलियों के आगे भारत सरकार विवश है उसी नक्सलियों को उस के मजबूत गढ़ से मुखिया ने खदेड़ दिया. शायद यही वो कारण था की मुखिया की निर्मम हत्या के बाद राजनेताओं ने दलगत भावना से ऊपर उठकर उन्हें याद किया.
मुखिया की हत्या पर नीतीश सरकार के वरिष्ठ मंत्री गिरिराज सिंह ने उन्हें गाँधीवादी बताया जिसका सम्पूर्ण जीवन किसानों के लिए समर्पित रहा. वही राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भी उन्हें संघर्षशील बताया. लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने भी उन्हें किसान आन्दोलन से जुड़ा हुआ माना.
मुखिया समर्थकों का कहना है की नीतीश सरकार का रवैया शुरू से ही इस पुरे मामले को रफा दफा करने वाला है. नीतीश सरकार ने पहले तो इस मामले की सीबीआई से करने की घोषणा की लेकिन बाद में अपने ही दल के विधायक को फंसता देख इस मामले को ठन्डे बसते में डालना शुरू कर दिया !

{ अमित कुमार (संपादक) साथ में तहलका इंडिया.कॉम टीम ,पटना  }

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