ब्यूरो
नई दिल्ली. राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक सुधार विभागों के सचिवों का कल एक दिन का सम्मेलन हुआ। कार्मिक, सार्वजनिक आपत्तियों एवं पेंशन राज्य मंत्री पृथ्वीराज चव्हान ने सम्मेलन का उद्धाटन किया. अपने भाषण में उन्होंने बताया कि बदलते हुए समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रशासन में सुधारों के लिए नई कार्य सूची अपनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्र में अनेक पहल की गई है। प्रधानमंत्री-पुरस्कार की स्थापना ने प्रशासन में अनेक सर्वोत्तम परम्पराएं स्थापित करने को गति प्रदान की। उन्होंने बताया कि इन पुरस्कारों को शिक्षा, परिवहन, स्वास्थ्य, सेवा-क्षेत्र, पुलिस पर्यावरण एवं शहरी प्रशासन से लेकर प्रशासन के अन्य क्षेत्रों से सर्वोत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मान के रूप में प्रदान किया जाता है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों और स्थानीय स्तरों पर सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में अनेक अभिनव कार्य किए जा रहे हैं जिनका उपयोग सामान्य लोगों के लाभ के लिए किया जाता है।
उन्होंने बताया कि प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने से पहले उन पर सर्वोत्च्च स्तर पर विचार-विमर्श किया जाता है, उसके बाद ही उन्हें स्वीकार किया जाता है और उस बारे में सम्बध्द राज्य सरकार को अवगत करा दिया जाता है। इनमें से कई सिफारिशें राज्य सरकार के दायरे में आती हैं । उन्होंने बताया कि ये विचार-विमर्श और बहस के लिए आधार प्रस्तुत करती हैं। इन विभागों में सुधारों के क्षेत्र में पहल के लिए केन्द्रित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। हमें इन सिफारिशों को कार्यरूप से परिणत करने योग्य बिन्दुओं का रूप देना चाहिए और यथार्थ समय-सीमा के अंतर्गत उन पर अमल करना चाहिए। डिजाइन, तैयारी, कार्यान्वयन-प्रभाव, लेखा-परीक्षण के सभी स्तरों पर नागरिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकता है। निर्धारित समय-सीमा के दायरे में प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश पर अमल करने के लिए रणनीति तैयार की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह आवश्यक है कि प्रशासनिक सुधार विभागों के दायरे में पर्याप्त क्षमता-निर्माण-पहल की जाए।
प्रशासनिक सुधार एवं पेंशन सचिव रजनी राजदान ने बताया कि हमारे लाखों लोगों के लिए विकास का लक्ष्य हासिल करने और उन्हें प्रभावी तथा न्यायपूर्ण अवसर प्रदान करने के लिए प्रशासनिक सुधार की व्यवस्था उपलब्ध करा दी जाएगी।