न कांग्रेस मुक्त भारत न पचहत्तर पार:टूटा अहंकार

 

– तनवीर जाफ़री –                                            

 
महाराष्ट्र तथा हरियाणा राज्यों में हुए विधानसभा के आम चुनावों के परिणाम आ चुके हैं। देश के एक समाचार पत्र ने इन परिणामों के संबंध में अत्यंत उपयुक्त शीर्षक लगाते हुए लिखा -‘मतदाताओं ने सभी को कहा -हैप्पी दीपावली’। वास्तव में इन परिणामों ने इन चुनावों में सक्रिय लगभग सभी राजनैतिक दलों को खुश रहने का कोई न कोई अवसर ज़रूर प्रदान किया है। हरियाणा में जैसे भी हो मगर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी करने में सफल रही जबकि महाराष्ट्र उसकी अपनी चुनाव पूर्व सहयोगी शिवसेना के साथ मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान जारी है । कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दोनों ही दलों ने अपने आप में पहले से काफ़ी अधिक सुधार  किया दोनों ही दलों की राजनैतिक स्थित महाराष्ट्र तथा हरियाणा के आम चुनावों से लेकर विभिन्न राज्यों में हुए लोकसभा व विधान सभा के उप चुनावों तक में काफ़ी बेहतर हुई। उधर हरियाणा के चुनावी मैदान में उतरी सबसे नई नवेली पार्टी जननायक जनता पार्टी ने अपने चुनाव निशान ‘चाबी’ की हैसियत को अपने पहले ही चुनाव में ही उस समय पहचनवा दिया जबकि पहली बार में ही सत्ता की चाबी भी उसी के पास रही और पहले ही चुनाव में उप मुख्यमंत्री का पद हासिल कर पाने में जजपा कामयाब रही। उपरोक्त पूरे राजनैतिक घटनाक्रम में किसी प्रकार की नैतिकता आदि की बात करने की ज़रुरत इसलिए नहीं कि यह राजनैतिक जोड़ तोड़ और सत्ता समीकरण बिठाने के विषय हैं लिहाज़ा यहाँ ‘नैतिकता ‘,सिद्धांत अथवा वैचारिक प्रतिबद्धता के दृष्टिकोण से किसी भी पहलू पर नज़र डालना क़तई मुनासिब नहीं।
                                                 
24 अक्टूबर की शाम तक जिस समय लगभग पूरे चुनाव परिणाम आ चुके थे और यह स्पष्ट हो चुका था कि प्रधानमंत्री मोदी व ग़ृह मंत्री अमित शाह द्वारा बार बार दिया जाने वाला ‘कांग्रेस मुक्त भारत ‘ बनाए जाने का नारा जहाँ एक बार फिर असफल हुआ वहीं हरियाणा में भी पिछले कई महीनों से भाजपा द्वारा चलाया जा रहा ‘अब की बार 75 पार’ का अभियान भी मुंह के बल गिर पड़ा। कांग्रेस पार्टी ने तमाम तरह की नकारात्मकता अर्थात संगठन में खींचतान,अनेक कांग्रेस नेताओं के ठीक चुनाव पूर्व पार्टी छोड़ने,टिकट आवंटन में मचे घमासान,कई लोगों के पार्टी टिकट न मिलने पर उनके स्वतंत्र चुनाव लड़ने,आख़री समय पर प्रत्याशी घोषित करने,सोनिया गाँधी,राहुल गाँधी व प्रियंका गाँधी जैसे सर्वप्रमुख नेताओं की चुनाव प्रचार अभियान में पूरी दिलचस्पी न लिए जाने,कई प्रमुख पार्टी नेताओं के विरुद्ध हो रही क़ानूनी जाँच पड़ताल और आर्थिक संकट आदि झेलने के बावजूद जैसा प्रदर्शन महाराष्ट्र,हरियाणा तथा कई राज्यों के उप चुनावों में किया है उसकी किसी भी राजनैतिक विश्लेषक को यहाँ तक कि शायद कांग्रेसजनों को भी उम्मीद नहीं थी। चुनाव परिणामों से यह भी स्पष्ट हो गया कि चुनाव में ‘मोदी के नाम का जादू’ जैसी कोई भी चीज़ अब मतदाताओं के बीच नहीं रह गई है।
                                                
 भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में 2005 में हुए चुनाव में मात्र दो सीटों पर जीत दर्ज की थी जो 2009 का चुनाव आते आते केवल चार सीटें जीतने की स्थिति में आ सकी। परन्तु  2014 में पहली बार भाजपा ने जब राज्य की 90 में से 46 सीटों पर जीत दर्ज की उस समय से ही बहुमत के नशे में चूर भाजपाइ नेताओं में पार्टी को अजेय समझने जैसा अहंकार पैदा होना शुरू हो गया था।अन्यथा लोकतान्त्रिक व्यवस्था में,जहाँ जीत हार,और यश अपयश की सारी चाभियाँ ही ‘लोक ‘ अथवा जनता के पास हों वहां स्वयं भू रूप से यह घोषणा कर देना कि ‘अब की बार-75 पार’ न केवल लोकतंत्र का अपमान है बल्कि अहंकार की पराकाष्ठा भी है। और हरियाणा चुनाव नतीजों ने यह दिखा भी दिया कि नारों व अहंकार के प्रभाव में जनता नहीं आने वाली। हरियाणा में खट्टर मंत्रिमंडल के सात मंत्रियों को भी जनता ने इस चुनाव में धूल चटा दी। इन में कई जो स्वयं को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते थे उनकी ज़मानत भी ज़ब्त हो गई। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,अमित शाह तथा राजनाथ सिंह जैसे नेताओं की कई जनसभाएं करवाने के बावजूद हरियाणा में बीजेपी ने कुल 40 सीटें जीती जबकि कांग्रेस ने 31, जननायक जनता पार्टी ने 10, तथा निर्दलीयों ने सात सीटों पर जीत दर्ज कर ‘अब की बार-75 पार’ के नारे को हवा हवाई नारा साबित कर दिया। ठीक इसके विपरीत संगठनात्मक तौर पर बुरे दौर से गुज़र रही कांग्रेस पार्टी जो कि हरियाणा में विशेष रूप से ठीक चुनाव पूर्व ही एक निर्णायक संकटकालीन दौर से गुज़री। यहाँ तक कि आला कमान ने  ठीक चुनाव पूर्व ही 3 वर्षों से हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पर आसीन रहे अशोक तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने जैसा ज़ोख़िम भरा फ़ैसला लिया। उधर भाजपा के नेता पूरे देश में घूम घूम कर जनता से देश को कांग्रेस मुक्त करने की ज़ोरदार अपील करते आ रहे हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पार्टी को जम कर एक साथ कोसा जा रहा है। कश्मीर से धरा 370 हटाने के केंद्र सरकार के फ़ैसले के बाद इसी बहाने कांग्रेस व नेहरू पर महाराष्ट्र से हरियाणा तक एक बार फिर निशाने साधे गए। परन्तु नतीजा यही रहा की भाजपा को लड़खड़ाना पड़ा और कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दल पहले से अधिक मज़बूत हुए।
                                             
इसके बावजूद भाजपा द्वारा बहुमत के जादुई आंकड़े छूकर सत्ता हासिल करना, यह वास्तव में जनादेश का कितना सम्मान है और कितना अपमान,सत्ता के लिए भाजपा को कहाँ किस प्रकार घुटने टेकने पड़े हैं,यहाँ तक कि अपनी हर आलोचना हर तरह का विरोध करने वाले यहाँ तक कि अपने ही विरुद्ध चुनाव लड़कर 10 सीटें जीत कर आने वाले जजपा जैसे नव गठित क्षेत्रीय दल के साथ उन्हीं की शर्तों पर सरकार बनाना यह सब कुछ देश ने भली भांति देखा है। जो भाजपा 90 सीटों की हरियाणा विधान सभा में ‘अब की बार 75 पार’ का नारा दे रही थी वह कितने बुलंद हौसले व इरादे से चुनाव मैदान में रही होगी इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है। वहीं राज्य में त्रिकोणीय चुनावी संघर्ष के बाद और कहीं कहीं तो चतुर्थकोणीय चुनाव होने के बावजूद यदि पार्टी बहुमत का 46 का आंकड़ा भी नहीं छू सकी तो इससे साफ़ है कि हरियाणा का जनमत भाजपा की खट्टर सरकार के विरुद्ध था। भले ही भाजपा विरोधियों में से भी किसी एक दल  को जनता ने पूर्ण बहुमत नहीं दिया। परन्तु केंद्र में सत्ता व सत्ता सम्बन्धी प्रतिष्ठानों का लाभ उठाकर भाजपा ने जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री पद देकर अपनी सत्ता की रह आसान कर ली। इस तिकड़मबाज़ी को दोनों ही दलों भाजपा व जननायक जनता पार्टी की मौक़ा परस्ती तो कहा जा सकता है परन्तु जनादेश का सम्मान हरगिज़ नहीं। जनता जनार्दन ने तो महाराष्ट्र व हरियाणा दोनों ही जगह यह दिखा दिया कि न तो भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा साकार हुआ न ही पार्टी हरियाणा में ‘पचहत्तर पार’ कर सकी,हाँ जनता ने ऐसे नारे लगाने वालों का अहंकार ज़रूर चूर चूर कर दिया।
 
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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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