इसके पहले कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद श्री हर्ष मंदर लेखक व रिटायर्ड (आई.ए.एस.), उत्तरप्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक वर्धा स्थित हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, लेखक एवं संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध पुलिस अधिकारी श्री विभूति नारायण राय और सेन्टर फाॅर स्टडीज आॅफ सोसायटी सेक्युलरिज्म के श्री इरफान इंजीनियर श्रोताओं को संबोधित किया।
श्री इरफान इंजीनियर ने कहा कि सूफी और भक्ति परंपराए हमें इस बात की याद दिलाती है कि वर्तमान दौर में धर्मो के आध्यात्मिक और नैतिक पक्ष को कमजोर किया जा रहा है। अगर हमें मानवता के भविष्य को संवारना है तो हमेे धर्मो के समावेषी मानवतावादी पक्ष को मजबूत करना होगा और धर्मो के समाज को बांटने के लिए इस्तेमाल को हतोत्साहित करना होगा। हमें यह समझना होगा कि सभी धर्म मूलतः नैतिकता और मानवता पर जोर देते है। हमें धर्मों की मूल आत्मा को अपनाना होगा न कि बाहरी आडंबरों कों।
श्री हर्ष मंदर ने कहा कि यदि हम एक धर्मनिरपेक्ष समाज चाहते हैं तो हमें अपने सोचने के तरीके में बदलाव लाना होगा। हमें मुख्य रूप से धर्म, जाति या भाषा के रूप में खुद की पहचान के तौर पर सोचना बंद करना होगा और सिध्दांत व व्यवहार दोनो में खुद को एक राष्ट्र के बराबर नागरिकों के बतौर सोचना शुरू करना होगा। वही श्री विभूति नारायण राय ने सांप्रदायिक दंगों में पुलिस कि सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही भूमिकाओं का उल्लेख करते हुए, भारतीय समाज के धर्म निरपेक्षीकरण और लोकतांत्रीकरण के लिये साझी सांस्कृतिक विरासत को प्रचारित और प्रसारित करने पर जोर दिया।
एक्षन एड कि सारीका सिन्हा ने आज के दौर में प्रेम और मानवता के मूल्यों को समाज में स्थापित करने के लिये महिलाओं कि विषेष भूमिका का उल्लेख करते हुए, महिला एवं पुरूष बराबरी का समाज निर्माण करने का आहवान किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भोपाल शहर के न्याय व अमन पर विष्वास रखने वाले करीब 250 साथियें ने भाग लिया कार्यक्रम का संचालन मीरा सिंह व साफिया अख्तर ने किया।