टीम अन्ना अपनी सरकार बनाकर लोकपाल बिल पास करवाए – मायावती

आई.एन.वी.सी,,
लखनऊ,,

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज की राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीया सुश्री मायावती जी ने कहा है कि आपसी सहमति के बाद जो भी लोकपाल बिल का मसौदा तैयार होता है, वह भारतीय संविधान के अनुरूप तैयार होना चाहिये, और साथ ही भारतीय संविधान के अनुरूप ही संसद में भी पास होना चाहिये। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ केन्द्र सरकार द्वारा भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की सोच व उनकी भावनाओं का आदर-सम्मान करते हुये, लोकपाल बिल के अन्दर सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले स्थानों पर समाज के खासतौर से उन अनुसूचित जाति जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों व धार्मिक अल्पसंख्यकों के लोगों को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिये, जो लोग अपने देश में सदियों से हर मामले में व हर स्तर पर यहाँ जातिवादी मानसिकता रखने वाले लोगों के आज भी शिकार होते चले आ रहे हैं। माननीया मुख्यमंत्री जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर प्रेस प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान श्री अन्ना की सिविल सोसाइटी और केन्द्रीय सरकार द्वारा तैयार किये ‘‘लोकपाल बिल‘‘ पर बी0एस0पी0 की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहीं थीं। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि हमारा संविधान ‘धर्म-निरपेक्षता‘ के आधार पर बना होने के कारण सभी धर्मों के लोगों का भी इस बिल में उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिये। इसके अलावा ‘‘लोकपाल बिल‘‘ को बनाने के लिए जो भी कमेटी बनती है, उसमें भी इन वर्गों का प्रतिनिधित्व जरूर होना चाहिये। यदि केन्द्र सरकार द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो फिर उनकी पार्टी संसद में इस बिल का कतई भी समर्थन नहीं करेगी। माननीया मुख्यमंत्री जी के द्वारा श्री अन्ना हजारे की टीम के जनलोकपाल बिल के बारे में यह सुझाव दिया गया कि यदि श्री अन्ना हजारे की टीम, अपनी शर्तों के  हिसाब से जिस प्रकार का बिल पास करवाना चाहती है और जिस पर अभी तक भी आम सहमति नहीं बन पा रही है, तो ऐसी स्थिति में श्री अन्ना हजारे की टीम इस मुद्दे को लेकर आन्दोलन करने की बजाय देश में सन् 2014 में लोकसभा के होने वाले आम चुनाव के मैदान में उतरे और केन्द्र में अपनी सरकार बनाकर, फिर अपनी मर्जी के मुताबिक खुद अपने बिल को पास करवायें, तो यह ज्यादा बेहतर होगा। माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जहाँ तक देश में ‘‘भ्रष्टाचार’’ को खत्म करने का सवाल है तो उनकी पार्टी शुरू से ही भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ रही है और साथ ही उनकी पार्टी ने शुरू से ही उन सभी संस्थाओं व संगठनों का भी पूरा समर्थन किया है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसके साथ ही उनकी पार्टी का यह भी कहना है कि देश में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिये, केन्द्र सरकार द्वारा जो भी बिल लाया जाता है वह हर मामले में सशक्त, प्रभावी व कारगर होना चाहिये। इसलिये इस बिल को पारित किये जाने से पहले, इस बात का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये कि यह बिल अपने मकसद अर्थात भ्रष्टाचार उन्मूलन में पूरी तरह प्रभावी साबित हो और इसके सभी प्राविधान एकदम स्पष्ट होंेे, जो आसानी से आम आदमी की समझ में भी आ सकंे। उन्होंने कहा कि इस बिल की पहुँच कुछ ऐसे खास लोगों तक ही सीमित होकर न रह जाये जिससे देश की आम जनता को इसका लाभ न मिल सके। माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जहाँ तक लोकपाल बिल के दायरे में सम्पूर्ण सरकारी तन्त्र को लाये जाने की बात है तो इस सम्बन्ध में उनकी पार्टी का यह मत है कि उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों को ही इस बिल की परिधि में लाया जाना ज्यादा उचित होगा। उन्होंने कहा कि इस बारे में बी0एस0पी0 का यह मानना है कि यदि उच्च स्तर पर बैठे अधिकारी भ्रष्टाचारमुक्त होंगे, तो वे स्वयं निचले स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों पर प्रभावी अंकुश लगाकर, भ्रष्टाचार को पनपने नहीं देंगे। माननीया मुख्यमंत्री जी का यह मत था कि जहां तक राज्यों में लोकायुक्त के पद के गठन का सवाल है, तो यह मामला संविधान के मुताबिक राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है इसलिए इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार राज्यों की सरकारों पर ही छोड़ देना चाहिये। उन्होंने कहा कि  उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की संस्था प्रभावी रूप से कार्य कर रही है और उनकी पार्टी की सरकार लोकायुक्त की सिफारिशों के आधार पर बिना कोई देरी किये हुये फैसले भी ले रही है, जिसके अनेकों उदाहरण जनता के सामने हैं। माननीया मुख्यमंत्री जी ने बताया कि सिटीजन चार्टर के मामले में उत्तर प्रदेश की बी.एस.पी. सरकार द्वारा पहले से ही प्रभावी कार्यवाही करते हुये राज्य में ’’उत्तर प्रदेश जनहित गारण्टी कानून’’ को लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि इस  कानून के पहले चरण में बी.एस.पी. सरकार ने जनहित की ऐसी सेवाओं को सबसे पहले शामिल किया है, जिनकी सबसे ज्यादा जरूरत सर्वसमाज में से कमजोर व गरीब लोगों को दिन- प्रतिदिन रहती है। इस उत्तर प्रदेश जनहित गारण्टी कानून में निर्धारित समय में सेवा न उपलब्ध कराने वाले अधिकारियों की जवाबदेही स्पष्ट तौर पर तय की गयी है और इस कार्य में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर अर्थदण्ड लगाने का भी प्राविधान किया गया है।  माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसके साथ-साथ जहाँ तक ‘‘माननीय प्रधानमंत्री और न्यायपालिका’’ को लोकपाल बिल के दायरे में शामिल किये जाने का मामला है, इस सम्बन्ध में संसद में आम सहमति से जो भी निर्णय लिया जायेगा, उनकी पार्टी उसका पूरा समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि श्री अन्ना की सिविल सोसाइटी और केन्द्रीय सरकार द्वारा अलग-अलग तैयार किये गये लोकपाल बिल को लेकर श्री अन्ना के दिल्ली में चल रहे आन्दोलन की आड़ में, कांग्रेस पार्टी की यू.पी.ए. और बीजेपी की एन.डी.ए. में अपने-अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए आपस में चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है। इस खेल को देश हित में जल्दी ही खत्म करके भारतीय संविधान के तहत इस मुद्दे का हल निकालकर जल्दी से जल्दी अन्ना के अनशन को समाप्त कराना चाहिए। माननीया मुख्यमंत्री जी ने केन्द्र सरकार के गृह मन्त्रालय को सचेत करते हुए कहा कि इस मुद्दे की आड़ में रामलीला मैदान के अन्दर कल कुछ अराजक तत्वों द्वारा कानून को अपने हाथों में लिया गया था और पुलिस कुछ नहीं कर सकी। उन्होंने इस बात पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे तत्वों के साथ दिल्ली पुलिस को सख्ती से निपटना चाहिये, वर्ना इस किस्म के अराजक तत्व पूरे देश में इस मुद्दे की आड़ में कानून-व्यवस्था को खराब कर सकते हंै। अतः इस मामले में केन्द्रीय गृह-मन्त्रालय को सख्ती से निपटना चाहिये। उन्होंने आगाह किया कि यदि अन्ना के साथी शान्तिपूर्ण ढंग और अनुशाासित तरीके से आन्दोलन करते हैं तो उनकी सरकार को कोई एतराज नहीं होगा और यदि इसके स्थान पर ये लोग इसकी आड़ में कानून को अपने हाथों में लेते हैं, तो ऐसे लोगों व तत्वों के खिलाफ फिर उनकी सरकार द्वारा सख्त कानूनी कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी को भी इस मुद्दे की आड़ में कानून को अपने हाथों में नहीं लेने दिया जायेगा। माननीया मुख्यमंत्री जी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि परम पूज्य बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर ने बहुत सोच-समझ कर अपने देश का भारतीय संविधान बनाया था, इसलिए लोकपाल के मुद्दे पर जो भी निर्णय लिया जाये, वह संविधान की परिधि के अन्दर होना चाहिये। उन्होंने बताया कि संसद में कोई भी फैसला लेते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि इससे संविधान की गरिमा पर आंच न आने पाये। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पिछले कुछ दिनों से हर स्तर पर अपने देश में जो कुछ चल रहा है, उससे उनकी पार्टी को यह सन्देह है कि देश में कुछ जातिवादी व साम्प्रदायिक ताकतें, आगे चलकर यहाँ भारतीय संविधान को भी बदलना चाहती हैं ताकि इस देश के करोड़ों दलितों, पिछड़ों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों व असहाय लोगों को फिर से गुलाम व लाचार बनाया जा सके।  माननीया मुख्यमंत्री जी ने इसी प्रकार ये ताकतें भारतीय संविधान में धर्म निरपेक्षता को खत्म करके यहाँ धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों को भी असहाय बनाना चाहती हैं और इस किस्म की कोशिश आज से कुछ वर्ष पहले भी की गई थी, जिसमें ये ताकतें उस समय कमजोर होने की वजह से कामयाब नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो फिर अपने देश में इस समय जो सामाजिक भाईचारा व साम्प्रदायिक सौहार्द बना हुआ है, वह नफरत में बदल जायेगा, जो अपने देश व देशवासियों के लिए ठीक नहीं होगा। इसलिए केन्द्र सरकार को यह भी चाहिये कि वे अपने खुफिया व अन्य सूत्रों के जरिये इन सब बातों पर पैनी नजर जरूर रखें।

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