ऊँचे महल पर बैठा कौवा गरुड़ नहीं होता

{संजय कुमार आजाद*}

टाइम्स नाउ के साथ एक घंटे बीस मिनट के अपने पहले टीवी इंटरव्यू में नेहरु-गांधी राजवंश के युवराज और देश को विभाजित कराने वाली पार्टी कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष एवं २०१४ के लोकसभा चुनाव के चुनावी सारथि ने अर्णव गोस्वामी के साथ जिन-जिन सम-सामयिक मुद्दे पर बात किया वह देश के युवा को निराशा की और ले जाना वाला और राजनीति रूप में हास्यास्पद है १९४७ से लेकर २०१४ तक के लम्वे सफ़र में विश्व को गणतन्त्र का वोध कराने बाला भारत आज खुद अपने गणतंत्र पर कितना अभिमान कर सकता है. भारत के इस लोकतंत्र में आज इसकी रीढ़ आम नागरिक कहाँ है ?आज भारत जिस निराशा में गोते लगा रहा है उसका सारा का सारा पाप इसी राजबंश का है. इस देश का आम नागरिक आज भी बद से बदतर जिंदगी जी रहा है और इस लोकतंत्र के पहरुए इस देश का खून चूस रहा है .

अपने साक्षात्कार में युवराज कहते है — ‘सचाई यह है कि 1984 में बेगुनाह लोग मारे गये और बेगुनाहों का मारा जाना भयावह चीज है जो नहीं होना चाहिए. गुजरात और 1984 में अंतर यह है कि 2002 के दंगों में गुजरात की सरकार शामिल थी. दिल्ली के सिख विरोधी दंगों और गुजरात के दंगों में सरकारों की भूमिका के अंतर को रेखांकित करते हुए राहुल ने कहा, ‘साधारण सा अंतर यह है कि 1984 में सरकार जनसंहार में शामिल नहीं थी. गुजरात में वह शामिल थी.’ उन्होंने कहा कि 1984 में कांग्रेस सरकार दंगों को भड़का नहीं रही थी या उनमें मदद नहीं कर रही थी बल्कि सरकार ने हिंसा को रोकने की कोशिश की थी . कितना सच और कितना झूठ ? इन्हें अपने पिता और उस समय के प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी का वो वक्तव्य पर ध्यान देना चाहिए था की –“जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है” यानी १९८४ का नरसंहार केंद्र सरकार के आदेश पर हुआ था इसमें इस देश के नागरिक को कोई संदेह नहीं है.

युवराज को शायद ये पता नहीं की ‘2002 के दंगों के लिए सैकड़ों लोगों को जेल में डाला गया जिसमें गुजरात के मंत्री भी शामिल हैं जबकि 1984 के वीभत्स अपराधों के आरोपियों को बचाया गया और यहां तक कि उन्हें सांसद भी बनाया गया.वैसे भी जिस पार्टी से युवराज का संवंध है वह पार्टी को दंगे कराने में महारत हासिल है.बास्तव में न्याय का गला घोटकर जिस तरह से १९८४ के कत्लेआम पर लिपा पोती की गयी वह चंगेजी प्रवृति का न्याय था. १९८४ के कत्लेआम और सम्पति लुटना कांग्रेस की तैमूरी सोच का दुष्परिणाम था. खून का बदला खून की नारों के बीच इस कत्लेआम को अंजाम दिया जा रहा था. आपरेशन ब्लू स्टार के द्वारा जिस आतंकियो से पवित्र गुरुद्वरा को मुक्त कराया गया उस भिण्डरावाले का निर्माता भी इसी वंश के लोग थे .इस सामन्ती सोच की पार्टी का हमेशा ये चाल रही है पहले अपने हित के लिए युवाओं को भटकाव के लिए प्रेरित कर अपना हित साधो फिर जब हित साध लिए जाय तो उसे आतंकी घोषित कर दो.पंजाब में यही हुआ था जिसका दंश पूरा देश भुगता फिर भी कांग्रेस शर्मसार होने के बजाय अब वही तरीका अल्पसंख्यको के लिए अपना चुकी है ?

ऐसा माना गया है की कामयाव होने के लिए अच्छे मित्रो की आवश्यकता होती है और जिस मित्र मण्डली से राहुल घिरे रहते उनकी विकृत सोच का प्रतिफल के रूप में ही उनका पहला टीवी साक्षात्कार है अर्णव के साथ बात करते हुए राहुल ने महिलाओं और उनकी मुख्य भूमिका का पूरे साक्षात्कार के दौरान 17 बार उल्लेख किया. उन्होंने सात बार ‘थर्ड पर्सन’ के रूप में अपने बारे में बात की, यानी जैसे वह किसी और के बारे में बात कर रहे हों. राहुल ने राजनीति में अनुभवहीनता का भी परिचय दिया.

राहुल ने इस साक्षात्कार में कई घिसे पिटे जुमले इस्तेमाल किए  और ४३ साल का युवा विदेशी डिग्री और दुनिया के सबसे सशक्त माँ के बेटे के रूप में राहुल किसी और पार्टी में होते तो पार्टी का कोई पद पाने के लिए संघर्ष कर रहे होते किन्तु यहाँ तो पुरे दल एक सुर में राहुल के रहमोकरम पर अपनी जिंदगी जीते है वैसे में उन्हें कांग्रेस में ही व्यापक बदलाव की बात करनी चाहिए.गलत सोच उनकी पार्टी में है व्यवस्था की सडांध उनके कार्यकर्ताओं की दी गयी भेट है .इस पार्टी के पापो को छुपाने के लिए इन्होने इस देश की व्यवस्था पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया भारतीय लोकतंत्र भले ही इस वंश का गुलाम रहा हो किन्तु ये संसदीय लोकतंत्र हैं और यह भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था है.

युवराज का मानना है की- कांग्रेस पार्टी में जब भी भ्रष्टाचार का मामला आता है तो हम एक्शन लेते हैं। हम लोग ही आरटीआई लाए थे, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।किन्तु क्या इन्होने वीरभद्र सिंह पर करप्शन के आरोपों हो या अशोक चव्हाण के खिलाफ जांच पर आज तक क्या कारवाई की?कोमन वेल्थ, 2जी, कोल आवंटन जैसे मुद्दों पर कुछ नहीं बोल पाते है .देश का बुनियादी ढांचा तार तार है कानून का पालन नही होता कार्यपालिका और न्यायपालिका का टकराव लोकतंत्र के लिए घातक है .इस विषम परिस्थिति में भी आंतरिक और वाह्य दोनों मामलो में सरकार फिसस्डी सावित हो रही है.फिर कौन सी सोच भारत को ए देंगे इसका मालिक भगवान् ही है ।

उन्होंने कहा की–हमें बतौर कांग्रेस पार्टी तीन चीजें करनी हैं। पहला, हमें खुद को बदलना होगा, ज्यादा युवाओं को लाना होगा और उन्हें जगह देनी होगी। इसके अलावा हमें मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देना होगा। हमने नॉर्थ, साउथ, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर बनाए हैं और भारत को मैन्युफैक्चरिंग सुपर हाउस बनाना होगा।आज भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उसे कम इंट्रेस्ट रेट, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर, उचित कीमत पर बिजली जैसी सुविधाएं, व्यापार में सहयोग, जल्द फैसले लेने की क्षमता जैसी चीजें देनी होंगी।पर युवराज के निर्देशों पर चलने वाली यूपीए सरकार इनमें से एक भी क्षेत्र में कुछ नहीं किया है।

.आज भारत का युवा क्यों इस व्यक्ति को अपना आइकॉन बनाये ? ८० मिनट के अपने साक्षत्कार में ना ये परिपक्व राजनेता की छवि और ना ही सकारात्मक ऊर्जा से लवरेज कोई नया दृष्टि बाला युवा के रूप में ही स्थापित कर पाए . इस साक्षत्कार का पूरा का पूरा सार अगर निकाले तो निराशा में डूबा अंतहीन सुरंगो में अपनी जिंदगी बचाने की ज़द्दोजेहाद में भागता एक युवा का अंतहीन दास्तान है? १२० करोड़ का देश जहां आधे से अधिक युवा हो उस देश के लिए ऐसे सोच का नेतृत्व देश के लिए घातक होगा.

आज जिस रफ्तार से दुनिया चल रही जिस नए विचार का सृजन विश्व में हो रहे वैसे में इस सोच का नेतृत्व देश को अधोगति प्रदान करने वाला नेतृत्व होगा जिससे इस लोकतंत्र को बचना ही होगा. कांग्रेस और उसका पूरा कुनवा लाख प्रयास करे इस देश में बदलाव की जो लहर चल चुकी है उसे रोक पाना नामुमकिन है. इस देश ने अनेको बार विश्वास किया और उसे क्या मिला; तो मनरेगा, दोपहर का स्कुल में भोजन यानी सिर्फ हमारी रहमोकरम पर जिओ किसी तरह से ज़िंदा रहो और हमारी सेवा कर अपना जीवन का निर्वाह करो . युवराज जी लोकतंत्र में जनता जनार्दन होता है.किन्तु आपकी पार्टी ने आज तक उस जनार्दन का अपमान किया है . अब इस देश का लोकतंत्र जाग रहा युवा अपनी तरुनाई को विकाश में ढालने को तत्पर है . आपके नकारात्मक और निराशावादी सोच आपको और आपके नवरत्नों को ही मुबारक हो क्योंकि संस्कृत में एक उक्ति है “प्रासाद शिखरस्थोअपि काको ना गरुडायते;” अर्थात –ऊँचे महल पर बैठा कौवा गरुड़ नही हो सकता ?

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sanjay-kumar-azad121**संजय कुमार आजाद
पता : शीतल अपार्टमेंट,
निवारणपुर रांची 834002
मो- 09431162589

(*लेखक स्वतंत्र लेखक व पत्रकार हैं)*लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं

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