ई-सेवाओं में तेजी लाने के मुद्दे पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रियों का सम्मेलन

आईएनवीसी ब्यूरो
नई दिल्ली.
देश भर में विभिन्न राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अधीन 1,00,000 साझा सेवा केन्द्रों में से 55,000 केन्द्र चालू किए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने सभी राज्यों को शामिल करने के उद्देश्य से 1,50,000 अतिरिक्त केन्द्रों को स्थापित करने की एक योजना तैयार की है। इस प्रकार इन केन्द्रों की कुल संख्या 2,50,000 हो जाएगी। केन्द्रीय सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा ने आज यहां सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। मंत्री ने बताया कि ये साझा सेवा केन्द्र भारत निर्माण के अधीन सेवा प्रदान करने के साथ-साथ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आदि जैसे अन्य कार्यक्रमों को अपना सहयोग प्रदान करेंगे।

 फिलहाल कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के अधीन निगमित क्षेत्रों द्वारा पंजीकरण और रिटर्न दाखिल करने से जुड़ी सेवाएं, आयकर रिर्टन की ई-फाइलिंग और आयकर विभाग द्वारा रिफंड करने, 28 राष्ट्रीय बैंकों के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों का ई-पेमेंट करने, पेंशनर्स पोर्टल के माध्यम से पेंशन भोगियों के लिए ई-सेवाओं सहित 100 से भी अधिक सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

 राजा ने कहा कि इन साझा सेवा केन्द्रों के स्थापना के साथ ही आम आदमी का सशक्तीकरण करना होगा ताकि वे इनसे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल  और प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं तक पहुंच कायम करने के क्रम में सरकार ने जीएनयू लाइक्स लोकलाइज्ड डेस्कटॉप डिस्ट्रीब्यूशन, भारत ऑपरेटिंग सिस्टम सोल्यूशंस विकसित किए हैं, जिनका लक्ष्य भारतीय भाषा को समर्थन प्रदान करने के साथ ही भारतीय जरूरतों की पूर्ति करना है और उम्मीद है की ई-गवर्नेस और ई-एजुकेशन से संबंधित विभिन्न जरूरतों की पूर्ति होगी।
 
इसके अलावा उद्योग जगत और सरकार दोनों के लिए साथ मिलकर काम करना जरूरी है तभी इस प्रयास के प्रति भागीदारी के माध्यम से इनका शीघ्र क्रियान्वयन सुनिश्चित हो पाएगा। उद्योग जगत को सार्वजनिक सेवाओं के वितरण के प्रति भागीदारी के लिए अवसर उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक वैधानिक कार्यक्रम तैयार किए गए हैं।

 इस अवसर पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री सचिन पायलट और सूचना प्राद्योगिकी विभाग के सचिव आर. चन्द्रशेखर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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