ब्यूरो
नई दिल्ली. सरकार ने भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सभी से मिलकर काम करने को कहा है। भ्रष्टाचार की बुराई से लड़ने के बारे में दो दिन की विचार गोष्ठी के समापन सत्र में आज नई दिल्ली में केंद्रीय विधि मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि भले ही भ्रष्टाचार दूर करने के लिए कई उपाय किए जा चुके हैं, लेकिन और बहुत से सुधार किए जाने की जरूरत है। इनमें भ्रष्टाचार के रोकथाम के कानून का दायरा बढ़ाने, भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों की जायदाद कुर्क करने, भ्रष्टाचार की सूचना देने वालों को सुरक्षा प्रदान करने, झूठे दावों के बारे में कानून लागू करने और राष्ट्रीय स्तर पर बहुसदस्यीय लोकपाल व्यवस्था स्थापित करने जैसे उपाय शामिल हैं।
श्री मोइली ने स्वीकार किया कि संविधान का अनुच्छेद-311 भ्रष्ट अधिकारियों को अदालत के कठघरे तक लाने में एक बाधा है। उन्होंने बताया कि ये मामला प्रधानमंत्री के साथ उठाया गया है और इस अनुच्छेद में संशोधन की बात रखी गई है। श्री मोइली ने यह भी बताया कि भ्रष्टाचार के मामलों से निपटने के लिए सीबीआई की 71 नई अदालतें स्थापित की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि संपूर्ण न्यायिक सुधारों की रूप-रेखा नवंबर तक तैयार हो जाएगी। इसमें मुकदमों का जल्दी फैसला करने और पूरा न्याय करने की भावना पर बल दिया जाएगा। न्यायाधीशों के रिक्त पद भरने के अलावा मुकदमों का अदालतों के बाहर फैसला करने के विभिन्न तरीकों को भी बल दिया जाएगा। उन्होंने घोषणा की कि ग्राम न्यायालय अधिनियम-2008 इस साल गांधी जयंती से लागू कर लिया जाएगा ताकि गांवों के स्तर से ही वैकल्पिक न्यायिक प्रणाली को सुदृढ़ किया जा सके। अदालतों में लंबित पड़े मामलों की संख्या अगले दो साल में काफी कम करने का संकल्प व्यक्त करते हुए श्री मोइली ने बताया कि न्यायपालिका का दायित्व सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक न्यायाधीश जांच विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा। विधि मंत्री ने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र की एक संधि के अनुरूप निजी क्षेत्र को भी भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों के दायरे में लाने का प्रयास किया जा रहा है।
दो दिन की इस विचार गोष्ठी का आयोजन केंद्रीय जांच ब्यूरो तथा राष्ट्रीय अपराध तंत्र और अपराध विज्ञान संस्थान ने मिलकर किया था। इसमें भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए आधुनिक टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल सहित विभिन्न उपायों के बारे में विचार-विमर्श किया गया।